Baglamukhi Mantra

तंत्र की सभी 10 विद्याओं (1। काली 2। तारा 3। षोड़षी 4। भुवनेश्वरी 5। छिन्नमस्ता 6। त्रिपुर भैरवी 7। धूमावती 8। बगलामुखी 9। मातंगी 10। कमला) में माता बगलामुखी को दसवीं विद्या माना गया है। ऐसी मान्यता है कि माता बगलामुखी की शक्तियों के सामने समस्त ब्रह्मांड की कोई भी शक्ति टिक नहीं सकती। इसलिए शत्रुओं पर विजय प्राति, शत्रु भय से मुक्ति तथा प्रभावशाली वाक-शक्ति की प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की साधना की जाती है।

इस साधना में एक खास संख्या में बगलामुखी मंत्र के जाप का विधान है। सामान्य शत्रु बाधा दूर करने के लिए इस मंत्र का कम से कम 10 हजार बार जाप करना करना चाहिए, लेकिन अगर कोई बहुत बड़ी शत्रु बाधा हो या शत्रुता में जीवन-मरण का प्रश्न हो तो ऐसे में कम से कम 1 लाख बार इस मंत्र का जाप करने वाला कभी भी शत्रु से हारता नहीं। ऐसे व्यक्ति को हर प्रकार के वाद-विवाद में विजय मिलती है और वह अपनी बातों को सही सिद्ध कर पाता है।

36 अक्षरों का अचूक बगलामुखी महामंत्र

“ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा”

इस मंत्र को अचूक माना जाता है. इसलिए जो कोई भी इसकी जप संख्या में जाप कर इसकी सिद्धि करता है उस किसी प्रकार भी जीवन में आक्समिक परेशानी और हार का सामना नहीं करना पड़ता। ऐसे व्यक्तियों के किए हुए हुए प्रयास कभी निष्फल नहीं, साथ ही उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। लेकिन अलग-अलग समस्याओं के लिए इसके अलग-अलग मंत्र भी हैं। आगे जानिए क्या हैं वे…

भय नाशक मंत्र: ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन

शत्रु नाशक: ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु

नजर उतारने का मंत्र: ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय

प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता पाने का मंत्र: ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा:

संतान रक्षा मंत्र: ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष

लंबी आयु का मंत्र: ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा:

शक्ति वृद्धि मंत्र: ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ

सर्व सुरक्षा कवच मंत्र: ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम

विशेष मनोकामनाओं के लिए

बगलामुखी मंत्रों के साथ हवन करने पर आपको इसका फल ज्यादा जल्दी मिलता है। कुछ विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए इस हवन में आप कुछ विशेष वस्तुओं का प्रयोग करें जो इस प्रकार हैं:

– धन, प्रसिद्धि तथा ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए दूध में भिगोया हुआ तिल तथा चावल को हवन में डालें।

– संतान प्राप्ति के लिए हवन में अनार और कनेर के पत्ते जरूर डालें।

– रोगों से मुक्ति पाकर आरोग्य की प्राप्ति के लिए हवन में किसी भी प्रकार से कुम्हार से लाई हुई चाक की मिट्टी, अरंड की लकड़ी (एक हाथ जितनी लंबी हो), अपनी सुविधा और इच्छानुसार शहद या चीनी में भुना चावल अवश्य प्रयोग करें।

– पूर्व में शत्रु के प्रभाव से आज भी आपकी इमेज अगर नकारात्मक बनी हुई हो, तो इस हवन में गुग्गुल और तिल का प्रयोग करें। पूर्व में अपने किसी बुरे कार्य के कारण सामाजिक सम्मान खोने की स्थिति में भी आपको यही करना चाहिए।

– किसी को वशीकृत करना हो या किसी से अपनी बात मनवानी हो तो थोड़े से शहद में तिल मिलाएं। इसे हवन में डालें। इसकी जगह आप सरसों के दाने भी प्रयोग कर सकते हैं।

– सभी प्रकार के शत्रुओं से मुक्त होने के लिए इसमें हरिताल, नमक और हल्दी की गांठे डालें।

इस मंत्र का जाप रात्रि में करें (संभव हो तो रात्रि 10 से 4 के बीच)। इसके अलावा साधना के दौरान पीले वस्त्र धारण करें साधना के दिनों में बाल ना कटवाएं, ब्रह्मचर्य का पालन करें और केवल एक समय ही भोजन करें। सात्विक भोजन करें तो और भी अच्छा है।

baglamukhi Devi

बंगलामुखी मंत्र एक ऐसा मंत्र जिसको हम अपने दुश्मनो को जीतने के लिए करते है।अगर आप अपने दुश्मन को हराना चाहते है। बंगलामुखी मंत्र को के दुश्मनों को जीतने के लिए अंतिम हथियार है। माना जाता है की बागलमुखी मंत्र अपने साधक का भाग्य लेकर आता है।
बगलामुखी मंत्र को दस महाविद्याओ मे से एक माना जाता है । बगलामुखी मंत्र का प्रयोग संरक्षण,समृद्धि स्थिरता के लिए असंख्य फायदे पैदा करता है।

baglamukhi

यह मंत्र बीमारियों, पुरानी समस्याओं और दुर्घटनाओं के विपरीत सुरक्षा प्रदान करता है।अगर हम रोजाना इस मंत्र को जाप करे इसके बहुत सारे लाभ है।बांग्लामुखी मंत्र बहुत प्रकर के होते है। पंडित जी आपको आपके कुंडली के आधार पर बताएंगे किस मंत्र को आप पढ़े।इस से आपके लिए जो सबसे अच्छा है उसे पढ़े ।बगलामुखी मंत्र के नियमित जाप से एक व्यक्ति के अहंकार और कार्यों को रोकने के लिए किया जाता है।इस मंत्र का प्रयोग करे जो हमें नुकसान पहुंचाता है।

baglamukhi mata

देवी बागला बागलमुखी मंत्र की देवी है। उनको ‘वाल्गामुखी’ भी कहा जाता है। ‘बागला’ या ‘वाग्ला’ का शाब्दिक अर्थ है ‘रस्सी’ या ‘ब्रिडल’ “tongue” जिसे नियंत्रित करने के लिए मुंह में रखा जाता है। – और ‘मुखी’ का अर्थ है ‘सामना करना’। यह मंत्र एक सुपर पावर है।यह मंत्र सारी बुरी शक्तियों को नष्ट करती है । देवी बगलामुखी अपने शत्रुओं पर नियंत्रण लगाने की शक्ति देती है।यह शक्ति के साथ आशीर्वाद देती है।
देवी बागलमुखी देवी को ‘पितंबारी देवी’ भी कहा जाता है। उनका रंग सुनहरा होता है; वह हमेशा पीले कपड़े पहनती है। वह सुनहरे सिंहासन पर बैठती है। बागलमुखी मंत्र को एक गुस्से में देवी के रूप में दिखाया गया है। जिसके साथ वह अपने बाएं हाथ से अपनी जीभ खींच रही है। बागलमुखी देवी को ‘ब्रह्मस्त्र रूपनी’ और ‘स्तम्भ देवी’ भी बोला जाता है।

baglamukhi temple

माता का मंदिर बहुत जगह है-दिल्ली, कांगड़ा, मक्लिओडगंज हैं।
दिल्ली में माता बागलमुखी माता का सबसे पुराना मंदिर। दिल्ली में 100 साल से अधिक पुराना है। अगर आप यहाँ जाते है बहुत शक्तिशाली दिव्य अनुभव होग। मेट्रो के नजदीकी स्टेशन से आप आसानी से यहां पहुंचा जा सकता हैं। चावरी बाजार जामा मस्जिद की ओर चलना पड़ता हैं।

Baglamukhi Temple, Kangra, Mcleodganj

बागलमुखी मंदिर, कंगड़ा, मक्कोदगंज हिमाचल प्रदेश के कंगड़ा जिले में स्थित है। हिमालय की शक्तिशाली धौलाधर सीमा के बीच एक स्थान पर घिरा हुआ है।मंदिर मई ज्यादातर ९ दिन तक नवरात्री मे कई त्यौहार मनाए जाते हैं। इसके अलवाला गुरु पूर्णिमा एक और अवसर है। इसको नवरात्रि के समय मनाया जाता है। वसंत पंचमी के समय या फिर किसी भी सुबह कार्य की शुरुआत मे यहाँ तक बागलमुखी मंदिर में विशेष पूजा और आरती आयोजित की जाती हैं।

baglamukhi mantra

ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम||
वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम ||
विनाशाय ह्लीं ॐ नम:

What is the Best Time or Muhurta for Chanting Bagalamukhi Mantra।
You can chat this mantra in Sukl pakch , Chadravali , Subh nakshtra , Subh titjhi ,Ratri samay।

Benefits of Bagalamukhi Mantra

देवी बागलमुखी देवी को ‘पितंबारी देवी’ भी कहा जाता है। उनका रंग सुनहरा होता है; वह हमेशा पीले कपड़े पहनती है। वह सुनहरे सिंहासन पर बैठती है। बागलमुखी मंत्र को एक गुस्से में देवी के रूप में दिखाया गया है। जिसके साथ वह अपने बाएं हाथ से अपनी जीभ खींच रही है। बागलमुखी देवी को ‘ब्रह्मस्त्र रूपनी’ और ‘स्तम्भ देवी’ भी बोला जाता है।माना जाता है कि बागलमुखी मंत्र का चमत्कार चमत्कारी शक्तियां माना जाता है।बगलामुखी मंत्र दुश्मनों पर विजय सुनिश्चित करने के लिए जाना जाता है। बागलमुखी मंत्र विशेष रूप से प्रशासन और प्रबंधन के कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, ऋण या मुकदमेबाजी की समस्याओं का सामना करने वाले लोगों के लिए सुझाव दिया जाता है।

baglamukhi mata mantra

Bagalamukhi Mantra का इस्तेमाल उस इंसान द्वारा किया जा सकता है, जो व्यापार, वित्तीय समस्याओं, झूठी अदालत के मामलों, झूठे आरोपों, ऋण में घाटे का सामना कर रहा है समस्याएं, पेशे में बाधाएं आदि ।। बागलमुखी मंत्र प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं, बहस इत्यादि के लिए उपस्थित लोगों के लिए प्रभावी है। बागलमुखी मंत्र दुष्ट आत्माओं और बुरी सोच को रोकने में मदद करता है।

Mata Bagalamukhi Mantra

||ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा||

Bagalamukhi Mantra Chanting ke liye kya kya chahiye।
Haldi Mala,Peet pushp , Peet aasan , Peet vastra।

Mata Bagalamukhi Mantra in english

Om Hleem Bagalaamukhi Sarvadushtaanaam Vaacham Mukham Padam Stambhay Jihvaam Keelay Buddhim Vinaashaay Hring Om Swaha

Baglamukhi Chalisa | बगलामुखी चालीसा

|| श्री गणेशाय नमः ||
श्री बगलामुखी चालीसा
नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल |
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ||
नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी | 1|
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी |2 |
अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा |3 |
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना |4 |
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे |5 |
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला |6 |
भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई |7 |
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा |8 |
तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी |9 |

Baglamukhi Chalisa in pdf

छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी |10 |
सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे |11 |
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन |12 |
दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता |13 |
साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता |14 |
मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी |15 |
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी |16 |
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को |17 |
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके |18 |
चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे |19 |
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे |20 |
मूठ आदि अभिचारण संकट । राजभीति आपत्ति सन्निकट |21|
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे |22 |

Baglamukhi Chalisa in hindi

सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे |23 |
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर|24|
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी |25 |
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक |26 |
तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें |27 |
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता|28|
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता | 29 |
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी |30|
जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई |31 |
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो|32|
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी |33|
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया |34 |
जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा |35 |
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता |36 |
सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता |37|
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो |38|
नमो महाविधा आगारा,आदि शक्ति सुन्दरी आपारा |39 |
अरि भंजक विपत्ति की त्राता , दया करो पीताम्बरी माता | 40 |
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं , अरि समूल कुल काल |
मेरी सब बाधा हरो , माँ बगले तत्काल ||

baglamukhi aarti

जय जयति सुखदा, सिद्धिदा, सर्वार्थ – साधक शंकरी।
स्वाहा, स्वधा, सिद्धा, शुभा, दुर्गानमो सर्वेश्वरी ।।
जय सृष्टि-स्थिति-कारिणि-संहारिणि साध्या सुखी।
शरणागतो-अहं त्राहि माम् , मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
जय प्रकृति-पुरूषात्मक-जगत-कारण-करणि आनन्दिनी।
विद्या-अविद्या, सादि-कादि, अनादि ब्रह्म-स्वरूपिणी।।
ऐश्वर्य-आत्मा-भाव-अष्टम, अंग परमात्मा सखी।
शरणागतो-अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
जय पंच-प्राण-प्रदा-मुदा, अज्ञान-ब्रह्म-प्रकाशिका।
संज्ञान-धृति-अज्ञान-मति-विज्ञान-शक्तिविधायिका ।।
जय सप्त-व्याहृति-रूप, ब्रह्म विभू ति शशी-मुखी ।

baglamukhi aarti in PDF

शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
आपत्ति-अम्बुधि अगम अम्ब! अनाथ आश्रयहीन मैं।
पतवार श्वास-प्रश्वास क्षीण, सुषुप्त तन-मन दीन मैं।।
षड्-रिपु-तरंगित पंच-विष-नद, पंच-भय-भीता दुखी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
जय परमज्योतिर्मय शुभम् , ज्योति परा अपरा परा।
नैका, एका, अनजा, अजा, मन-वाक्-बुद्धि-अगोचरा।।
पाशांकुशा, पीतासना, पीताम्बरा, पंकजमुखी।

baglamukhi aarti in hindi

शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
भव-ताप-रति-गति-मति-कुमति, कर्त्तव्य कानन अति घना।
अज्ञान-दावानल प्रबल संकट विकल मन अनमना।।
दुर्भाग्य-घन-हरि, पीत-पट-विदयुत झरो करूणा अमी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
हिय-पाप पीत-पयोधि में, प्रकटो जननि पीताम्बरा!।
तन-मन सकल व्याकुल विकल, त्रय-ताप-वायु भयंकरा।।
अन्तःकरण दश इन्द्रियां, मम देह देवि! चतुर्दशी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
दारिद्रय-दग्ध-क्रिया, कुटिल-श्रद्धा, प्रज्वलित वासना। वासना।
अभिमान-ग्रन्थित-भक्तिहार, विकारमय मम साधना।।
अज्ञान-ध्यान, विचार-चंचल, वृत्ति वैभव-उन्मुखी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।

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