नवग्रहों के जप विधान के अंतर्गत प्रत्येक ग्रह के अपने अलग-अलग विभिन्न मंत्र होते हैं। इन विभिन्न मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का जाप प्रत्येग ग्रह की निश्चित जपसंख्या के आधार पर करना चाहिए। यह जाप 108 दाने की रूद्राक्ष माला द्वारा सम्पन्न होता है। प्रतिदिन नियत संख्या में माला करना चाहिए। जप पूर्ण होने पर जप का दशंाश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन एंव मार्जन का दशांश ब्राम्हण भोजन का विधान है। वैसे तो शास्त्रों में कहा गया है कि ‘‘कलियुग चर्तुभुजों’’ अर्थात् कलियुग में निश्चित जपसंख्या के चार गुना जप करना चाहिए। नवग्रहों के विभिन्न मंत्र इस प्रकार है:
कष्ट निवारण और ग्रहपीड़ा शांति हेतु हिन्दू परंपरा में नवग्रहों के बीजमंत्र जप का विधान है. कष्टों और पीड़ा का संबंध जिस ग्रह से हो उसके बीजमंत्र जप बहुत लाभ देते हैं. विधिपूर्वक जप पूर्ण कर लेने पर संबंधित ग्रह की कृपा प्राप्त होती है और कष्टों का निवारण सहज ही हो जाता है.
मंगल मंत्र
ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अय्यम्।
अपां रेतां सि जिन्वति।।
नवग्रह मंत्र और जप संख्या इस प्रकार से हैं –
मंगल – ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नमः
जप संख्या – 10000
जप समय – दिन का प्रथम प्रहर
मंगल स्तुति
जय जय जय मंगल सुखदाता। लोहित भौमादित विख्याता।।
अंगारक कुज रूज ऋणहारी। दया करहु यहि विनय हमारी।।
हे महिसुत दितीसुत सुखरासी। लोहितांग जग जन अघनासी।।
अगम अमंगल मम हर लीजै। सकल मनोरथ पूरण कीजै।।
हिन्दू धर्म शास्त्रों में मंगल ग्रह नवग्रहों का सेनापति बताया गया है। यही नहीं पौराणिक मान्यता है कि मंगल शिव के तेज से उत्पन्न हुए और उनका पालन-पोषण पृथ्वी ने किया। इसलिए वह भूमिपुत्र भी पुकारे जाते हैं।
ज्योतिष शास्त्रों में हालांकि मंगल क्रूर ग्रह माना जाता है, किंतु शिव अंश होने से मंगल के शुभ होने पर सांसारिक सुखों मिलते हैं, किंतु अशुभ होने पर संतान, भूमि, धन, विवाह, पुत्र, विद्या, रोग आदि से जुड़ी पीड़ाओं का सामना भी करना पड़ा सकता है।
मंगल दोष शांति के लिए ही मंगलवार या शिव या हनुमान उपासना का कोई भी विशेष दिन बड़ा शुभ माना गया है। जानिए, मंगलदोष शांति के लिए 3 असरदार मंगल मंत्र स्मरण का सरल उपाय, जो हर मंगल पीड़ा शांत करने में बहुत ही असरदार साबित होते हैं –
– मंगलवार के दिन स्नान के बाद किसी नवग्रह मंदिर में लाल पूजा सामग्रियों से मंगल की पूजा कर लाल चंदन, लाल अक्षत, लाल कलेवा, वस्त्र, लाल फूल चढ़ाकर लाल अनार का भोग लगाएं। पूजा के बाद मंगलदोष शांति की कामना के साथ नीचे लिख 3 इन सरल मंत्रों में से किसी भी एक का जप कर सकते हैं –
शास्त्रों के मुताबिक इन मंगल मंत्रों की जप संख्या 10000 होनी चाहिए। किंतु अगर इतना कर पाना संभव न भी हो तो यथाशक्ति इन मंत्रों का जप सुबह या शाम किया जा सकता है –
बीज मंत्र –
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:।
सामान्य मंत्र –
ॐ अं अंगारकाय नम:
पौराणिक मंत्र –
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांति समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च भौममावाह्यम्।
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To calm down the negative effects of the planet in the horoscope , one must recite the Mangal Beej Mantra 108 times (one mala) everyday in front of Energized Mangal Yantra.